घूरन की भाजपा में दूसरी बार एंट्री

घूरन की भाजपा में दूसरी बार एंट्री

धीरेन्द्र चौबे 

पूर्व सांसद घूरन राम फिर एक बार भाजपा के हो गए हैं। भाजपा में उनकी एंट्री दूसरी बार हो रही है। इसके पहले भी वे भाजपा में रह चुके हैं। लोकसभा टिकट का जुगाड़ नहीं होने पर पिछले लोकसभा चुनाव के एक वर्ष पूर्व मार्च 2018 उन्होंने भाजपा को टाटा बाय बाय कर अपने पुराने घर राजद में वापसी की थी। घूरन राम की राजनीतिक सफर राजद से ही शुरू हुई है। उनके राजनीतिक गुरु प्रदेश के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री और हाल के दिनों में मनोनीत भाजपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य गिरिनाथ सिंह रहे हैं। पैसा लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप में लोकसभा से निष्कासित तत्कालीन राजद सांसद मनोज कुमार के निष्कासन के बाद 2007 में हुए लोकसभा उपचुनाव में गिरिनाथ सिंह के प्रयास से घूरन राम राजद के प्रत्याशी बनें और जीत हासिल की थी। उसके बाद घूरन को पलामू की जनता ने कभी मौका नहीं दिया। हर बार चुनाव में राह कठिन होता गया। हालांकि दूसरी बार मौका हासिल करने के लिए उन्होंने अपनी ओर से कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। खूब पाला भी बदला। राजद को छोड़ वे जेवीएम में गए फिर पाला बदलकर भाजपा में गए। टिकट की गुंजाइश नहीं होने पर राजद में घर वापसी की लेकिन लगातार हार का सामना करना पड़ा। पुनः उन्होंने भाजपा की शरण ली है। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि गिरिनाथ से घूरन की अनबन और सत्येन्द्र नाथ से निकटता उनके लिए फायदेमंद साबित नहीं हुआ। प्रेक्षक मानते है कि गिरिनाथ राजनीति के बड़े माहिर खिलाड़ी हैं और गंभीर किस्म के नेता हैं, वे भले दो चुनाव हार गए हों लेकिन उनका वोट एक्सेप्ट मैनेजमेंट तगड़ा है। उनकी अपील पर लोग लोकसभा चुनाव में वोट करते रहे हैं। जबकि दो बार के विधायक रहे सत्येंद्र नाथ बड़े बयानवीर हैं, खुले मंच से अपनी ही पार्टी के सांसद की आलोचना करते रहे हैं। लिहाजा वोट एक्सेप्ट मैनेजमेंट उनका बेहद कमजोर है। इतिहास साक्षी है कि उनकी अपील का लोकसभा चुनाव में कभी कोई असर नहीं रहा है। उन पर विगत लोकसभा चुनाव में भाजपा में रहकर राजद प्रत्याशी घूरन राम के लिए कथित प्रचार का आरोप भी लगा था, लेकिन घूरन राम बहुत बड़े अंतर से वीडी राम से चुनाव हार गए थे। कुल मिलाकर घूरन राम की गिरिनाथ से दुश्मनी और सत्येन्द्र नाथ से दोस्ती लोकसभा की दहलीज पर पहुंचने में बाधक रही है। गिरिनाथ और सत्येन्द्र नाथ फिलहाल दोनों भाजपा में ही हैं। अब राजद - जेवीएम - भाजपा - राजद से होते हुए फिर एक बार घूरन राम भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। राजनीतिक अवसर तलाश रहे घूरन ने 2018 में भाजपा को छोड़ राजद में जाने और गुरुवार को भाजपा में पुनर्वापसी दोनों समय एक ही बात दोहराया कि सुबह का भूला शाम को घर लौटे तो उसे भूला नहीं कहा जा सकता। इसका मतलब वे घर लौटे हैं जहां उनके गुरु और मित्र दोनों पहले से हैं लेकिन दोनों एक दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं। अब इस नई पारी में वे किस तरह नेताओं से तालमेल बना पाते हैं और भाजपा में वे कितना फिट बैठते हैं, या उन्हें कौन सी जिम्मेदारी मिलती है यह सब आने वाला समय बतायेगा।