श्मशान के मुहाने पर खड़ा है पतरिहा खुर्द का उरांव टोला, 1 और पीड़ित की मौत

श्मशान के मुहाने पर खड़ा है पतरिहा खुर्द का उरांव टोला, 1 और पीड़ित की मौत

नीलू चौबे 

श्री बंशीधर नगर : श्री बंशीधर अनुमंडल मुख्यालय अंतर्गत पतरिहा खुर्द गांव के आदिवासी बाहुल्य बिचला टोला (उरांव टोला) टीबी कारण श्मशान के मुहाने पर खड़ा हो चुका है। शनिवार को भी टीबी से एक व्यक्ति की मौत होने की सूचना है। बताया गया है टीबी के गंभीर किस्म के लक्षण से पीड़ित प्रभु राम की मौत हो गई, जिससे यहां मरने वालों की संख्या बढ़कर 14 हो चुकी है।

पतरिहा खुर्द में एक वर्ष में 14 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि लगभग टीबी से पीड़ित 26 लोगों में से आधा दर्जन लोग गंभीर हालत में है, जिन्हें समुचित इलाज नहीं मिला तो मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है। पतरिहा खुर्द गांव में टीबी से हुई मौत एवं इसका व्यापक प्रसार इस बीमारी के उन्मूलन कार्यक्रम की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।

क्रशर फील्ड से बीमारी लेकर लौटे हैं टीबी पीड़ित

पतरिहा खुर्द अंतर्गत बिचला टोले में रहने वाले अधिकांश लोग विगत तीन चार साल पहले तक पड़ोसी राज्य यूपी के सोनभद्र जिलान्तर्गत बिल्ली एवं डाला में क्रशर फील्ड में मजदूरी करते थे। जहां उन्हें 24 घंटे धूल में ही कार्य करना पड़ता था। जो टीबी के प्रसार का प्रमुख कारण माना जाता है।

पीड़ितों से बातचीत के क्रम में यह भी बात सामने आई कि कुछ लोगों द्वारा इलाज कराने के लिए अनुमंडलीय अस्पताल में जाने पर टीबी विभाग के कर्मियों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला, लिहाजा लोगों ने आधा अधूरा दवा का सेवन किया, जिससे बीमारी ठीक नहीं हुई।

 दूसरी ओर कुछ लोगों ने प्राइवेट क्लिनिक की ओर रुख किया लेकिन अर्थाभाव में उनका इलाज बंद हो गया नतीजतन बीमारी ठीक नहीं हुआ और उससे परिवार के अन्य लोग भी टीबी से संक्रमित होते गए।

यहां टीबी के प्रसार का दूसरा सबसे बड़ा कारण कुपोषण एवं कम जगह में अधिसंख्य लोगों का गंदगी युक्त स्थान पर रहना है। सबसे बड़ी बात है कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के लिए संशोधित कानून 2012 के अनुसार सभी टीबी रोगी चाहे सरकारी में इलाज कराये अथवा प्राइवेट स्तर पर उनका रजिस्ट्रेशन निक्षय पोर्टल पर अनिवार्य रूप से होना जरूरी है। रजिस्टर्ड टीबी मरीज को सरकार द्वारा निक्षय पोषण योजना के तहत प्रत्येक माह 500 रुपये डीबीटी के माध्यम से भेजा जाता है। लेकिन यहां एक भी टीबी मरीज को इस योजना का लाभ नहीं मिला है।

महिलाओं के भरोसे चल रहा परिवार

टोले में 80 प्रतिशत घर के पुरूष बीमार हैं जिस कारण वे मेहनत मजदूरी करने में असमर्थ हैं। जिस कारण घर की महिलाएं मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण भी कर रही हैं और इलाज भी। अभी तक टीबी से पीड़ित मरीजों में महिलाओं की संख्या काफी कम है।

 तत्काल टोले के सभी लोगों का अच्छे से जांच कर इलाज नहीं हुआ तो यहां की स्थिति भयावह होने की आशंका है। टोले में पुरुषों के अनुपात में महिलाएं बीमार होने पर परिवार का भरण पोषण और इलाज पर संकट उत्पन्न हो सकता है।

युवा समाज सेवी ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

पतरिहा खुर्द निवासी युवा समाजसेवी मोहित प्रताप देव ने उक्त टोले में टीबी से लगातार हो रही मौत को गंभीरता से लिया और उन्होंने इसकी सूचना पत्रकारों व जनप्रतिनिधियों को दी।

उन्होंने कहा कि शुरुआत में हुई मौत को लोगों ने गंभीरता से नहीं लिया लेकिन जब यह सिलसिला बढ़ने लगा तो टोले के लोग काफी भयभीत हो गए। भयवश लोगों ने उक्त टोले पर आना जाना भी कम कर दिया।

श्री देव बताते हैं कि बिचला टोले के 80 प्रतिशत घर के लोग टीबी से पीड़ित हैं। फिलहाल कई मरीज मरणासन्न अवस्था में है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण ही यहां की स्थिति गंभीर हुई है।

कुव्यवस्था की कहानी मरीजों की जुबानी

मरीज सूरज उरांव ने बतलाया कि एक साल पूर्व अनुमंडलीय अस्पताल में हुई जांच में टीबी निकला। 4 महीने अस्पताल से दवा खाया लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ तो प्राइवेट चिकित्सक के इलाज कराया। लेकिन अभी भी सुधार नहीं हुआ है।

पीड़ित धरम उरांव एक साल से इलाज करा रहे हैं। सरकारी अस्पताल भी गए थे वहां जांच भी हुआ और 1 माह का दवा मिला था। दुबारा दवा लेने के लिए कई बार अस्पताल का चक्कर काटे। जब दवा नहीं मिला तो प्राइवेट में इलाज करा रहे हैं।

पीड़ित मनोज उरांव ने बताया कि 6 माह से दवा चल रहा है लेकिन तबियत में कोई सुधार नहीं हो रहा है। सरकारी अस्पताल में आधार और खाता नंबर लिया गया था लेकिन कोई पैसा न मुझे मिला है और न ही गांव में किसी को मिला है।

पीड़ित बसंती देवी ने बताया कि पति पहले से ही टीवी से ग्रसित थे तीन माह पूर्व मेरा भी तबियत खराब हुआ जांच कराया तो पता चला कि टीवी है। प्राइवेट डॉक्टर से ही इलाज चल रहा है। तबियत ठीक नहीं होने के बावजूद भी हमें मजदूरी करना पड़ता है क्योंकि यदि मैं घर पर बैठ गई तो भोजन के साथ साथ हम दोनों का इलाज भी बंद हो जायेगा।

टीबी से 13 लोगों की मौत की खबर की सत्यता की जानकारी ली जा रही है। साथ ही यह भी पता लगाया जाएगा कि कहीं उन्हें कोई और बीमारी तो नहीं थी जो उनकी मौत का कारण बनी। गांव में शिविर लगाकर मरीजों के जांच व इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाएगी।

डॉ अनिल श्रीवास्तव,

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी, गढ़वा

बेहतर इलाज के लिए जिला प्रशासन तैयार : डीसी

गढ़वा डीसी शेखर जमुआर ने पतरिहा खुर्द के उरांव टोले में टीबी के प्रसार पर गंभीर चिंता जतायी है। उन्होंने बताया कि गांव में विशेषज्ञों की टीम भेजकर लोगों की हेल्थ जांच करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया है। लोगों को बेहतर इलाज मिले इसके लिए जिला प्रशासन तैयार है। उधर इस गंभीर मामले से प्रदेश के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर को भी अवगत कराया गया है।