संरक्षित कृषि स्ट्रक्चर पर बीएयू को मिला ट्रेडमार्क

संरक्षित कृषि स्ट्रक्चर पर बीएयू को मिला ट्रेडमार्क

बंशीधर न्यूज

रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) द्वारा विकसित सूक्ष्म जलवायु प्रबंधन प्रौद्योगिकी के प्रयोग से अब गुणवत्तायुक्त सब्जियों का वर्षभर लाभकारी और टिकाऊ उत्पादन किया जा सकता है। केंद्र सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के पेटेंट्स, डिजाइंस और ट्रेडमार्क्स महानियंत्रक के कार्यालय ने बीएयू द्वारा विकसित अस्थाई शेड नेट स्ट्रक्चर को इसके विशिष्ट डिजाइन के लिए ट्रेडमार्क स्वीकृत कर दिया है।

छत विस्थापित पोली हाउस को ट्रेडमार्क प्रदान किए जाने संबंधित आवेदन को महानियंत्रक द्वारा प्रोसेसिंग के लिए स्वीकार कर लिया गया है। बीएयू में आईसीएआर के सहयोग से चल रही कृषि संरचनाओं और पर्यावरण प्रबंधन में प्लास्टिक अभियांत्रिकी संबंधी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ प्रमोद राय ने लगभग एक दशक के अनुसंधान और प्रयोग के बाद दोनों प्रौद्योगिकी विकसित की है। डॉ प्रमोद राय ने बताया कि खेती वाली सब्जियों की उत्पादकता और गुणवत्ता आनुवंशिक सामग्री, फसल प्रबंधन और सूक्ष्म जलवायु प्रबंधन द्वारा प्रभावित होती है।

मृदा एवं वायु तापक्रम, प्रकाश गहनता एवं गुणवत्ता, सापेक्षिक आद्रता, कार्बन डाइऑक्साइड आदि सूक्ष्म जलवायु पैरामीटर का प्रबंध संरक्षित कृषि तकनीक से होता है। संरक्षित कृषि स्ट्रक्चर का चयन खेती की जाने वाली सब्जी की लाभप्रदता, टीकाऊपन, स्थिर लागत, संचालन लागत और कार्बन फुटप्रिंट को प्रभावित करता है। मिट्टी और हवा के उच्च तापक्रम तथा प्रकाश की तीव्रता के कारण गर्मी के महीना मार्च से मई के दौरान टमाटर और शिमला मिर्च की खेती में बहुत समस्याएं आती हैं।

सनबर्न के कारण उत्पादित फल का 50 प्रतिशत से अधिक प्रभावित हो जाते हैं। गर्मी के महीनों में स्थाई ढांचे वाले शेड नेट में टमाटर और शिमला मिर्च की खेती करके समस्या को कम किया जा सकता है। इस स्ट्रक्चर में जून से फरवरी के दौरान प्रकाश गहनता वांछित स्तर से कम रहती है। इसलिए अस्थाई शेड नेट स्ट्रक्चर मार्च से मई के दौरान इसकी उपयोगिता बढ़ा देता है।

इसके प्रयोग से खुले खेत में खेती की तुलना में सब्जियों की विपणन योग्य गुणवत्ता कम से कम 50 प्रतिशत और उत्पादकता 30 से 40 प्रतिशत बढ़ जाती है। ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण गर्मी के मौसम में प्राकृतिक रूप से वेंटिलेटेड पोली हाउस में मिट्टी और हवा का तापक्रम तथा प्रकाश की तीव्रता काफी उच्च होती है। 

प्राकृतिक वेंटिलेशन को सालों भर खेती के अनुकूल बनाने के लिए इसे कम करना आवश्यक है। प्राकृतिक वेंटिलेटेड पोली हाउस का प्रयोग साल में सामान्यतया आठ से नौ महीना ही हो पाता है। बीएयू द्वारा विकसित छत विस्थापित पोली हाउस का निर्माण बांस और आवरण सामग्री से किया जा सकता है। छत छोड़कर पूरा स्ट्रक्चर यूवी स्टेबलाइज कीड़ा रोधी सामग्री से आच्छादित रहता है जबकि छत बारिश और गर्मी के मौसम में यूवी स्टेबलाइज्ड फिल्म (200 माइक्रोन) से तथा जाड़े के मौसम में शेड नेट सामग्री (हरी, 35-50 प्रतिशत) से आच्छादित रहता है।

यह विकसित स्ट्रक्चर नवंबर से फरवरी तक पोली हाउस, जून से अक्टूबर तक रेन शेल्टर तथा मार्च से मई तक शेड नेट के रूप में कार्य करता है। यह मृदा एवं वायु तापक्रम तथा प्रकाश की तीव्रता घटकर पोली हाउस को सालों भर खेती के लिए उपयुक्त बनता है जिससे सब्जी उत्पादों की लाभप्रदता बढ़ती है तथा कार्बन फुटप्रिंट घटता है।

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुनील चंद्र दुबे ने झारखंड के छोटे किसानों के हित में हुए इस तकनीकी आविष्कार पर प्रधान अन्वेषक डॉ प्रमोद राय तथा एसोसिएट डीन डीके रूसिया को बधाई दी है।