तिलक-दहेज प्रथा सबसे बड़ी कुरीति, समाप्त करने की दिशा में हो पहल : नामधारी

तिलक-दहेज प्रथा सबसे बड़ी कुरीति, समाप्त करने की दिशा में हो पहल : नामधारी

बंशीधर न्यूज

मेदिनीनगर : चैनपुर प्रखंड अंतर्गत दोकरा गांव में शनिवार से श्री रामचरितमानस नवाह परायण महायज्ञ शुरू हुआ। महायज्ञ में प्रवचन कार्यक्रम का उद्घाटन झारखंड विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी ने किया। उन्होंने उपस्थित आचार्यों से आग्रह किया कि वे भारतीय समाज में चल रही तिलक-दहेज की आंधी को रोकने का उपाय खोजें।

उन्होंने रामचरितमानस का प्रसंग बताते हुये कहा कि सीता जी के स्वयंवर में विजय हासिल करने के बाद शादी में कोई लेन-देन की बात तो नहीं हुई थी। लेकिन जनकजी ने इतना सामान दिया कि कई महीनों तक ढोया जाता रहा। कोई भी पिता अपनी बेटी को खाली हाथ नहीं भेजना चाहता लेकिन रकम तय करके शादी करने से भारत की संस्कृति का अपमान होता है।

उन्होंने भगवान राम के जीवन पर प्रकाश डालते हुये कहा कि चक्रवर्ती सम्राट होने के वक्त वन गमन कर लेने पर उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं आई। श्री नामधारी ने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे अपने मतभेदों को बैठकर सुलझाने की प्रथा को अपनाएँ ताकि कचहरियों की भीड़ को खत्म किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान राम का सम्मान उनकी भव्य मूर्तियों से नहीं उनके त्याग के मार्ग पर चलने पर होना चाहिये।

मौके पर मुखिया नीतिश सिंह, पूजा कमेटी अध्यक्ष ब्रजभूषण चौबे, चन्दन तिवारी, राजकिशोर ठाकुर, प्रफुल उपाध्याय, राजकुमार वर्मा, मुंशी साव, सुरेश सिंह, नन्दलाल सिंह, सुरेश चौबे, निरंजन सिंह, राकेश ठाकुर आदि उपस्थित थे।