राज्य में भीषण गर्मी एवं लू के कारण केजी से कक्षा आठ तक की कक्षाएं स्थगित

राज्य में भीषण गर्मी एवं लू के कारण केजी से कक्षा आठ तक की कक्षाएं स्थगित

बंशीधर न्यूज

रांची: राज्य में अत्यधिक गर्मी पड़ने एवं लू के कारण छात्रों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को ध्यान में रखते हुए सभी सरकारी एवं निजी विद्यालयों में केजी से कक्षा आठ तक की कक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। विद्यालयों के शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों पर यह आदेश लागू नहीं होगा।

शिक्षकों-शिक्षकेत्तर कर्मियों को देय ग्रीष्मावकाश के लिए अलग से आदेश निर्गत किया जायेगा। यह आदेश सोमवार को सरकार के प्रभारी सचिव उमा शंकर सिंह ने जारी की है। यह अगले आदेश तक लागू रहेगा।

शिक्षक-शिक्षकेत्तर कर्मी करेंगे ये काम

-कक्षा एक से सात तक की वार्षिक परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करते हुए परीक्षाफल प्रकाशन, रिर्पोट कार्ड की तैयारी, छात्रवार विद्यार्थियों के प्राप्तांक को ई-विद्यावाहिनी में ऑनलाईन कार्य पूरा करेंगे।

-यू-डाईस प्लस में विद्यार्थियों के आंकड़ों की शत-प्रतिशत प्रविष्टि का कार्य पूर्ण करेंगे।

-विद्यालय के पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों की केटलागिंग करते हुए इसे संधारित करना सुनिश्चित करेंगे।

-विद्यालय के सभी प्रकार के पंजी, बैंक पासबुक, कैशबुक इत्यादि का अद्यतन संधारण करेंगे।

-शैक्षणिक सत्र-2024-25 के लिए आने वाले विद्यार्थियों का नामांकन का कार्य करेंगे।

-शैक्षणिक सत्र-2024-25 के लिए कक्षावार एवं विषयवार पाठ्य योजना तथा संबंधित शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण करेंगे।

-सभी शिक्षक क्षमता निर्माण के लिए जे-गुरुजी एप्लीकेशन में स्वयं को पंजीकृत कराते हुए उस पर उपलब्ध वीडियो सामग्री का अवलोकन करेंगे।

-सभी प्रकार के आवासीय विद्यालय पूर्व की भांति यथावत संचालित रहेंगे। -कक्षा 09 से ऊपर की कक्षाएं सुबह सात बजे से 11:30 बजे तक संचालित की जाएंगी। इस अवधि में प्रार्थना सभा या खेलकूद एवं अन्य घर के बाहर गतिविधियां संचालित नहीं की जाएगी। उल्लेखनीय है कि अभिभावक संघ ने स्कूलों में छुट्टी करने की मांग की थी।

इस संबध में झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष अजय राय ने ईमेल के माध्यम से एक ज्ञापन शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव को सौंपा था, जिसमें मांग की गयी है कि तापमान में अत्यधिक वृद्धि को देखते हुए सभी सरकारी गैर सरकारी स्कूलों में छुट्टी दी जाये। इन परिस्थितियों में छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल भेजना अभिभावक के लिए चिंतनीय है।