सीएए के तहत संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों पर केंद्र सरकार सीधा एक्शन ले सकती है या नहीं? : झारखंड हाईकोर्ट

सीएए के तहत संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों पर केंद्र सरकार सीधा एक्शन ले सकती है या नहीं? : झारखंड हाईकोर्ट

बंशीधर न्यूज

रांची: संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण वहां जनसंख्या की स्थिति में कुप्रभाव को लेकर डेनियल दानिश की जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता प्रशांत पल्लव से पूछा कि सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) के तहत केंद्र सरकार संथाल परगना के पांच जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों पर सीधा एक्शन ले सकता है या नहीं?

न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस बिंदु पर केंद्र सरकार के अधिवक्ता को तीन सप्ताह में केंद्र सरकार से निर्देश लेकर शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई दो मई निर्धारित की है। इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि झारखंड के संथाल परगना के पांच जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों पर एक्शन केंद्र सरकार ले सकती है, राज्य सरकार की इसमें ज्यादा भूमिका नहीं है।

लेकिन अभी केंद्र सरकार द्वारा सीएए के लागू होने के बाद स्थितियां बदली है। पड़ोसी देश के कुछ अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी। कोर्ट को यह भी बताया गया कि साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा व जामताड़ा आदि क्षेत्र में अवैध प्रवासी (बांग्लादेशी घुसपैठियों) की संख्या बढ़ती जा रही है, यह लोग ट्राइबल आबादी को बहुत ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं।

इसलिए झारखंड में बसे बांग्लादेशियों पर अंकुश लगाने की जरूरत है। पूर्व में कोर्ट ने गृह मंत्रालय से पूछा था कि झारखंड के बॉर्डर इलाके से कैसे बांग्लादेशी घुसपैठिए प्रवेश कर रहे हैं बताएं, इसे रोकने के लिए क्या किया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज आदि झारखंड के बॉर्डर इलाके से बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड आ रहे हैं।

इससे इन जिलों में जनसंख्या में कुप्रभाव पड़ रहा है। इन जिलों में बड़ी संख्या में मदरसा स्थापित किया जा रहा है। साथ ही स्थानीय ट्राइबल के साथ वैवाहिक संबंध बनाया जा रहा है।