50 रैयतों का डेढ़ एकड़ जमीन का मुआवजा दिए बिना एनएच का निर्माण, भड़के रैयतों ने दी काम रोकने की चेतावनी

बंशीधर न्यूज
पलामू: पलामू जिले के सदर-मेदिनीनगर अंचल-थाना सतबरवा मौजा लहलहे के रैयत और ग्रामीणों ने गुरुवार को जिला प्रशासन पर बड़ा आरोप लगाया। रैयत और ग्रामीणों का कहना है कि 50 प्रभावित परिवार को डेढ एकड़ जमीन का मुआवजा दिए बिना ही प्रशासनिक निर्देश पर भारत वाणिज्य ईस्टर्न प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा नेशनल हाइवे का निर्माण शुरू कर दिया गया है।
करीब डेढ़ एकड़ जमीन का कागजात रहते हुए एक साल से मुआवजा राशि के लिए दौड़ लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पूरा रविदास मुहल्ला का घर और खेत सड़क में निर्माण में जा रहा है। वहां के ग्रामीणों को भी मुआवजा नहीं दिया गया। दूसरी ओर सड़क में कार्य तेज गति से कराया जा रहा है। बुजुर्ग मुंशी पाल ने बताया कि कंपनी के कर्मियों के द्वारा कहा जाता है कि अधिगृहित जमीन पर कार्य करने नहीं दोगे तब सभी लोगों को जेल भिजवा दिया जाएगा।
एक साल से हमलोग मुआवजा के लिए परेशान हैं। मजबूरीवश कार्यस्थल पर आकर विरोध कर रहे हैं। इधर सदर डालटनगंज के अंचल अधिकारी अमरजीत बलहोत्रा ने बताया कि रैयत का एलपीसी निर्गत किया गया है। जीएम लैंड का एलपीसी नहीं बना है। विरोध करने वाले रैयतों में बृजेश तिवारी, मृत्युंजय तिवारी, मनोज तिवारी, सुदर्शन पाल, सुभाष तिवारी, पुरुषोत्तम पाल, महिमानंद तिवारी, रामनिवास तिवारी, अमित तिवारी, सुभाष तिवारी, सुदेश्वर तिवारी, दामोदर तिवारी, कौशल किशोर पांडे, उमेशचंद्र झा, पुरुषोत्तम शाह समेत कई लोग शामिल हैं।
अंचल से जमीन को लेकर मांगे गए छह बिंदुओं पर दिया गया जवाब रैयतों में एक रैयत इंटक के प्रदेश सचिव विवेकानंद त्रिपाठी भी हैं। उन्होंने कहा है कि एनएच 39 भोगु से शंखा फोरलेन सड़क निर्माण में मौजा लहलहे की अधिग्रहित की जा रही खाता 53 मंे डेढ़ एकड़ जमीन उनके पूर्वजों की है। बीते साल तक जमीन की अप टू डेट रसीद लगायी गयी है।
24 अगस्त 2023 को पहला नोटिस मिला, जिसमें प्रशासन (सदर सीओ) ने छह बिंदुओं पर जवाब मांगे थे। उसमें कहा गया था कि पूर्व की जमीन जमींदार के द्वारा दी गई है। गांव के भूतपूर्व जमींदार हमलोग ही हैं, भूमि गैरमजरुआ नहीं है। एनएच 39 भोगु से शंखा फोरलेन सड़क निर्माण में मौजा लहलहे अंचल सदर मेदिनीनगर थाना सतबरवा में निर्माण के लिए अधिग्रहित की जा रही खाता 53 (गैरमजरूआ मालिक जमींदारी प्राप्त) प्लॉट संख्या -551, 554, 555, 249, 268, 237 एवं 114 रकबा लगभग 1 एकड़ 20 डिसमिल जमीन के मालिक स्वयं भूतपूर्व जमींदार थे, जिन्हें भूमि सुधार अधिनियम 1950 (बिहार सरकार) के सेक्शन 5, 6, 7 के तहत फॉर्म के एसेसमेंट ऑफ रेंट के लिए सरकार को रिटर्न दिया तथा सरकार के द्वारा फार्म ‘एल’ में जांच कराने के पश्चात भूमि सुधार अधिनियम 1951 (बिहार सरकार) के सेक्शन 7डी के तहत फार्म ‘एम’ से लगान का निर्धारण किया गया।
फार्म एम से लगान का निर्धारण एआर सीएएसई नंबर 34, 35, 36, 37, 38-1955-56 तथा एआर सीएएसइ नम्बर 1159, 1160, 1161, 1162-1955-56 के द्वारा किया गया। लगान निर्धारण के पश्चात आज तक सभी रैयतों के द्वारा उक्त भूमि पर लगान-मालगुजारी का भुगतान अधतन करते हुए खेती बाड़ी, मकान, दुकान का निर्माण कर उस पर रह रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा जिस जमीन को गैरमजरूवा बताया जा रहा है, उस जमीन की प्रकृति सरकार द्वारा लगान निर्धारण (1955-56) के समय टॉड़-3 दिखाई गई थी तथा उसका वार्षिक लगान ‘3’ प्रति एकड़ था, जो की गैरमजरुआ भूमि के लगान से ज्यादा था।
रिविजनल सर्वे के द्वारा भी उपरोक्त जमीन की प्रकृति रैयती बताई गई है। अंचल अधिकारी सदर मेदिनीनगर के प्रतिवेदन में भी रैयती मान्यता हेतु अनुमोदन किया गया है, परंतु अभी तक जिला प्रशासन के द्वारा ना तो रैयती मान्यता दी गई है और ना ही उस जमीन का मुआवजा रैयतों को प्राप्त हुआ है। उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक के पास एनएचएल द्वारा कार्य करने वाली कंपनी भारत वाणिज्यिक प्राइवेट लिमिटेड की जबरदस्ती कार्य करने हेतु शिकायत की गई है, परंतु अभी तक प्रशासन द्वारा ना तो कार्य रोकने हेतु और ना ही मुआवजा भुगतान हेतु कोई दिशा निर्देश दिया जा रहा है।
ऐसे में उनका धैर्य अब जवाब देने लगा है। जबकि झारखंड सरकार के राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के तत्कालीन सचिव कमल किशोर सोन जी के द्वारा निर्गत पत्र ज्ञापांक 08ए/2022 भू.अ.नि. कोड (न्याय)-211/2022, 879 नि.रा. रांची, दिनांक 06.12. 2022 द्वारा साफ़-साफ़ सभी उपायुक्त को निर्देशित है कि भू अर्जन की कार्रवाई एवं मुआवजा भुगतान पूर्ण करने के पश्चात ही परियोजना का कार्य शुरू करना है। फिर ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई कि बिना मुआवजा भुगतान किया जिला प्रशासन ने एनएचएएल के संवेदक को कार्य प्रारंभ करने का निर्देश दे दिया।
हम सभी रैयत जिला प्रशासन एवं जल, जंगल, जमीन की सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन जी से मांग करते हैं कि एनएचएएल संवेदक की दबंगई रोके एवं रैयतों को मुआवजा देने के पश्चात ही कार्य शुरू करने का निर्देश दें। अन्यथा हम सभी रैयत उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। इधर साइंट इंचार्ज ने बताया कि कंपनी की ओर से काम करने के लिए कहा गया है।