नहाय खाय के साथ चैती छठ महापर्व शुरू, व्रतियों ने किया सात्विक भोजन

नहाय खाय के साथ चैती छठ महापर्व शुरू, व्रतियों ने किया सात्विक भोजन

बंशीधर न्यूज

रांची: चार दिवसयी लोक आस्था का महापर्व चैती छठ शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है। छठ महापर्व की शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होता है। छठ महापर्व में नहाय खाय का खास महत्व है। व्रतियों ने शुद्ध होकर व्रत की शुरुआत की। नहाय खाय के दिन मिट्टी और आम की लकड़ी वाले चूल्हे में अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी बनायी गई।

खाना बनाने में घी और सेंधा नमक का प्रयोग किया गया। सूर्य भगवान को भोग लगाने के बाद व्रतियों ने भोजन किया। इसके बाद घर के सभी लोग इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इस दिन व्रती बिस्तर के बजाय जमीन पर सोते हैं। छठ पूजा में सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दिन से घर में लहसुन-प्याज बनना बंद हो जाता है।

लौकी और चने की दाल खाने का विशेष महत्व

नहाय खाय के दिन विशेष तौर पर लौकी की सब्जी बनती है। इसके पीछे यह मान्यता है कि लौकी काफी पवित्र होती है। साथ ही इसमें पर्याप्त मात्रा (96 फीसदी) में पानी होता है। इसको खाने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।

इतना ही नहीं लौकी खाने से बहुत सारी बीमारियां भी दूर होती हैं। नहाय खाय में चने की दाल खाने का भी विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि चने की दाल बाकी दालों की तुलना में सबसे अधिक शुद्ध होती है। इसको खाने से ताकत भी मिलती है।