बांके तेरी बांकी मैली हो गई, पापियों के जेब भरते भरते

बांके तेरी बांकी मैली हो गई, पापियों के जेब भरते भरते

नीलू चौबे

श्री बंशीधर नगर : बांके तेरी बांकी मैली हो गई, पापियों के जेब भरते भरते। यह किसी फिल्मी गीतों के बोल नहीं बल्कि हकीकत है। अपनी जेब भरने की लालच में नपं के सफाई सुपरवाईजर ने बांके (श्रीकृष्ण) की बांकी (मां राधारानी) को मैला कर डाला है।

सफाई सुपरवाईजर की काली करतूत से विश्वविख्यात श्री बंशीधर मंदिर एवं प्राचीन सूर्य मंदिर के बगल से बह रही पवित्र बांकी नदी का अस्तित्व खतरे में है। सुपरवाईजर ने बांकी नदी को कचरा डंपिंग यार्ड बनाकर कचरा का अंबार लगा दिया गया है।

बांकी नदी की दुर्गति नपं कार्यालय के ठीक सामने यानी उसके नाक के नीचे हो रही है। नदी की दुर्गति पर नपं के वरिष्ठ से लेकर कनिष्ठ सारे हाकिम और हुक्मरान खामोश हैं। लिहाजा सुपरवाईजर की मनमानी चल रही है।

यहां बताते चलें कि श्री बंशीधर नगर खिलखिलाता हुआ शहर है। श्री बंशीधर मंदिर के ठीक बायीं ओर बांकी नदी बहती है। कल कल बहती बांकी नदी के तट पर विराजे श्री वंशीधर जी मंद मंद मुस्कान के साथ वंशीवादन कर सबकी पीड़ा और संताप को दूर कर रहे हैं। लेकिन पैसे की हवस में नपं के लोग उनकी सहचरी प्रेयसी बांकी नदी को मैला कर नरक में तब्दील कर दिया है।

नपं कार्यालय श्री बंशीधर मंदिर एवं बांकी नदी की खूबसूरती में चार चांद लगाने के बजाय मंदिर एवं नदी की अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। बांकी नदी में कई जगहों पर बने कचरा डंपिंग याड से जहां नदी सिकुड़ती जा रही है। कचरे के दुर्गंध से मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं एवं शहरवासियों को नाक मुंह बंद कर जाना पड़ता है।

मंदिर के बगल में गंदगी के कारण बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के बीच शहर की छवि खराब हो रही है। नदी के तट पर कार्तिक एवं चैती छठ महापर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। उस समय नदी के किनारे छठ घाट की सफाई पर काफी पैसे खर्च होते हैं, फिर भी संपूर्ण स्वच्छता का अभाव रहता है।

"कचरा डंपिंग यार्ड नहीं होने के कारण कचरा रखने में परेशानी हो रही है। बांकी नदी के पास जो कचरा रखा हुआ है उसे जल्द ही हटा दिया जायेगा।"

अमरेंद्र कुमार चौधरी

कार्यपालक पदाधिकारी

 नगर पंचायत श्री बंशीधर नगर