महाभारत पढ़ने से झगड़ा, क्लेश समाप्त होता है : जीयर स्वामी

बंशीधर न्यूज
मेदिनीनगर : निगम क्षेत्र के सिंगरा अमानत नदी तट पर श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कहा की वेदों की एक लाख मंत्रों से भावार्थ के रूप में महाभारत की रचना की गई है। महाभारत वेद का ही भावार्थ है। महाभारत में (विष्णु सहस्रनाम, भगवदगीता, हंस गीता, पांडव गीता, गजेन्द्र मोक्ष जैसे अनेकों स्तुतियां हैं। जिसके श्रवण मात्र से संसार का प्राणी बंधन मुक्त हो जाता है।
उन्होंने कहा कि महाभारत के अनेकों श्लोक मंगल कारक हैं। क्योंकि महाभारत वेद और उपनिषद का ही भावार्थ है। स्वामी जी ने कहा की सामान्य भाषा में बोला जाता है की महाभारत पढ़ने से घर परिवार में झगड़ा, क्लेश होता है। ऐसा नहीं है महाभारत पढ़ने से झगड़ा खत्म होता है क्लेश समाप्त हो जायेगा। पढ़ने से समस्या का समाधान होता है।
महाभारत के श्लोक पढ़ने से मानव जीवन का कल्याण होता है। वेदों के नाम पर हिंसात्मक, राजसिक, तामसिक पुजा का बढ़ावा मिल गया। महाभारत जैसे ग्रंथ में अपने अपने परिवार के लोगों का वर्णन तो बहुत बार किया है, लेकिन भगवान् के चरित्रों, भगवान् के स्वरूपों का वर्णन तो किया ही नहीं। वेदव्यास जी ने नारद मुनि से पूछा कि इसका उपाय क्या है प्रभु।
नारद जी ने कहा कि इसके लिये आपको प्रायश्चित करना पड़ेगा। जैसा अपराध वैसा प्रायश्चित करना होगा। नारद मुनि ने कहा कि पुरुषार्थी और कर्मशील व्यक्ति कर्म का और पुरुषार्थ का कभी त्याग नहीं करता है। मानवीय जीवन में विषम्-से-विषम् परिस्थितियां आने के बाद भी हमें अपने कर्म और पुरुषार्थ का त्याग कभी नहीं करना चाहिये।