संविधान पर संकट, देश अघोषित आपातकाल की ओर बढ़ रहा है : धीरज दुबे

संविधान पर संकट, देश अघोषित आपातकाल की ओर बढ़ रहा है : धीरज दुबे

बंशीधर न्यूज

गढ़वा : झामुमो के केंद्रीय सदस्य एवं मीडिया पैनलिस्ट धीरज दुबे ने देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार में लोकतंत्र की आत्मा को कुचला जा रहा है और देश एक अघोषित आपातकाल की स्थिति में प्रवेश कर चुका है। श्री दुबे ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्थाओं की स्वायत्तता पर निर्भर करती है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुये हैं।

उन्होंने उदाहरण देते हुये बताया कि रिजर्व बैंक, नीति आयोग, एनएससी, सूचना आयोग, न्यायपालिका आदि से जुड़ी कई प्रमुख हस्तियों ने दबाव और असहमति के चलते इस्तीफा दिया है। यह इस्तीफों की शृंखला नहीं, लोकतंत्र की गिरती सेहत का संकेत है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों और दबावों ने संस्थाओं को निष्पक्ष तरीके से काम करने से रोक दिया है। संस्थानों में डर और दबाव का माहौल बन चुका है, जहां अधिकारी या तो सत्ता के आगे झुकने को मजबूर हैं या फिर इस्तीफा देकर हट रहे हैं।

यह लोकतंत्र के लिये अत्यंत खतरनाक संकेत है। श्री दुबे ने कहा असहमति को दबाना लोकतंत्र नहीं होता। आज जो भी सवाल उठाता है, उसे या तो चुप करा दिया जाता है या बदनाम कर हाशिये पर भेज दिया जाता है। धीरज दुबे ने विपक्षी दलों से भी आह्वान किया कि वे अपने-अपने स्वार्थों से ऊपर उठकर लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिये एकजुट हों। उन्होंने कहा कि देश का भविष्य स्वतंत्र, निर्भीक और निष्पक्ष संस्थाओं पर निर्भर करता है न कि सत्ता के केंद्रीकरण पर।