जहां लक्ष्मण भरत व हनुमान जैसे साधक त्यागी और संत हों वहीं रामराज्य: मारुति किंकर जी

जहां लक्ष्मण भरत व हनुमान जैसे साधक त्यागी और संत हों वहीं रामराज्य: मारुति किंकर जी

श्रीरामचरितमानस व्यक्ति में संयम, परिवार में सुमति, समाज में सद्भाव, राष्ट्र में समृद्धि और विश्व में शान्ति स्थापित करने का संदेश देता है

बंशीधर न्यूज

विश्रामपुर : जहां लक्ष्मण जैसे भाई, भरत जैसे त्यागी, और हनुमान जैसे संत हों वहीं रामराज्य की स्थापना होती है। वैदिक परंपरा के सिद्ध संत व देश के चर्चित एवं मूर्धन्य कथावाचक 1008 श्री श्री मारुति किंकर जी महाराज रेहला स्थित सिद्धपीठ योगीवीर बाबा मंदिर परिसर के वासंतिक नवरात्र व श्रीरामचरितमानस नवाह्न परायण महायज्ञ के मौके पर आयोजित रामकथा के दौरान बोल रहे थे।

उन्होंने रामराज्य के कारक लक्ष्मण, भरत व हनुमान के संदर्भ में कथा विस्तार करते हुए कहा कि श्रीरामचरितमानस में लक्ष्मण ही ऐसे भाई हैं जिन्होंने अपने अग्रज मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की सेवा में नींद, नारी व भोजन का त्याग कर दिया था। जबकि भाई भरत जी ऐसे त्यागी थे जिन्होंने श्रीराम के वनगमन से आने की प्रतीक्षा में चौदह वर्षों तक गोमूत्र में एक मुट्ठी जौ भिंगोकर खाते हुए नंदीग्राम में भूमि खोदकर पर्णकुटी बनाकर कुशासन पर बैठकर कठोर धर्म का पालन किया।

श्री श्री महाराज जी ने कहा कि रामराज्य के तीसरे कारक जिन्होंने हनुमानजी जैसे संत जिन्होंने रघुकुल के नायक भगवान श्रीराम के कार्यों को पूरा किये बिना विश्राम नहीं किया। कथा के अंतिम क्षणों में मानस मर्मज्ञ श्री श्री महाराज जी ने कहा कि श्रीराम चरित मानस, व्यक्ति में संयम, परिवार में सुमति, समाज में सद्भाव,राष्ट्र में समृद्धि और विश्व में शान्ति स्थापित करने का संदेश देता है।

 श्रीरामनवमी पर क्षेत्र के अधिकांश मंदिर व अन्य कई धर्मस्थलों पर चल रहे नवरात्र व नवाह्न परायण पाठ के मंत्रोच्चार व बज रहे भक्ति गीतों से माहौल भक्तिमय हो उठा है।