श्री बंशीधर नगर के पतरिहा खुर्द में टीबी का कहर, साल भर में एक दर्जन से अधिक की मौत, करीब दो दर्जन पीड़ित

श्री बंशीधर नगर के पतरिहा खुर्द में टीबी का कहर, साल भर में एक दर्जन से अधिक की मौत, करीब दो दर्जन पीड़ित

नीलू चौबे

श्री बंशीधर नगर : श्री बंशीधर अनुमंडल मुख्यालय अंतर्गत पतरिहा खुर्द गांव के आदिवासी बाहुल्य बिचला टोला (उरांव टोला) में टीबी ने महामारी का रूप धारण कर लिया है। टोले के लोग अब तक फ्लोराइड रूपी धीमे जहर से अपने आप को सुरक्षित भी नहीं कर पाए थे कि टीबी रोग जैसे महामारी की चपेट में आ गए हैं। टीबी से टोले में एक साल के अंदर एक दर्जन से अधिक लोग असमय काल कवलित हो गए। फिलहाल दो दर्जन से अधिक लोग टीबी से ग्रसित हैं।

टोले में टीबी का प्रसार दर एवं मृत्यु दर सरकारी प्रसार एवं मृत्यु दर के कई गुना अधिक है। जो इस टोले के साथ साथ पूरे गांव के लिए चिंता का विषय है। जिस प्रकार से यहां टीबी का तेजी से प्रसार एवं मौतें हुई है, उसमें स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता प्रमुख कारण रही है। स्वास्थ्य विभाग को पतरिहा खुर्द में टीबी के प्रसार और उसकी भयावहता की तनिक भी जानकारी नहीं है। अलबत्ता कई लोग अनुमंडल अस्पताल से 6 माह तक दवा खाने के बाद निगेटिव तो हुए परन्तु पुनः प्राइवेट स्तर पर जांच कराये तो टीबी पॉजिटिव मिले। इस टोले के अधिकांश लोग फिलहाल प्राइवेट स्तर पर इलाज करवा रहे हैं।

इस छोटे से टोले में जिस प्रकार से टीबी का फैलाव हुआ है कही न कही स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही का नतीजा है। यदि इसके रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जल्द से जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो सिर्फ टोले में ही नहीं बल्कि पूरे गांव में कोई भी सुरक्षित नहीं बचेगा।

टोले में अधिसंख्य आबादी आदिवासियों की है। 70 घर की आबादी वाले इस टोले में लगभग 300 लोग निवास करते हैं। वर्तमान समय में कोई भी टीबी से अछूता नहीं है। पतरिहा खुर्द पूर्व से फ्लोराइड प्रभावित रहा है। फ्लोराइड के कारण भी इस टोले के कई लोग असमय काल के गाल में समा चुके हैं।

टीबी से जिनकी हुई मौत

पतरिहा खुर्द के बिचला टोले में पिछले एक साल में टीबी से 13 लोगों की मौत हुई है। मरने वालों में रामशंकर उरांव 42 वर्ष, जवाहर उरांव 52 वर्ष, रामकेश उरांव 48 वर्ष, मुनी उरांव 53 वर्ष, सकुंती देवी 44 वर्ष, दुलार उरांव 37 वर्ष, परीखा उरांव 50 वर्ष, बलराम उरांव 43 वर्ष, महेंद्र उरांव 46 वर्ष, राजनाथ उरांव 37 वर्ष, राजेश्वर उरांव 40 वर्ष, हरि उरांव 49 वर्ष एवं सुधीर उरांव 20 वर्ष शामिल हैं।

दो दर्जन से अधिक ग्रामीण हैं टीबी से ग्रसित

टोले में फिलहाल कुल 26 लोग टीबी से ग्रसित है। जिनमें धरम उरांव, सूरज उरांव, बसंती देवी, रामस्वरूप उरांव, उमेश उरांव, देवनाथ उरांव, रजनी देवी, फुलझरी देवी, जसोइया देवी, विरगुन उरांव, जिरहुल देवी, विनोद उरांव, रामपति उरांव, नारायण उरांव, मनोज उरांव, रामलाल उरांव, सुबचन उरांव, राजेश उरांव, दिनेश उरांव, दशरथ उरांव, कैलाश उरांव, सुरेंद्र उरांव, जयश्री उरांव, बैजनाथ उरांव, सकुंती देवी एवं महेश उरांव में टीबी के लक्षण हैं।

अंधविश्वास भी है टीबी प्रसार का मुख्य कारण

टोले में टीबी से हुए मौत एवं प्रसार के लिये स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के साथ साथ लोगों मे व्याप्त अंधविश्वास भी प्रमुख कारण उभर कर सामने आया है। लोगों ने बातचीत के दौरान कबूल किया वे ओझाई के लिए देवास भी गए थे, जहां ओझा ने जोड़ा मौत की बात कही थी। सुबचन उरांव ने बताया कि तीन माह पूर्व मेरे भाई की मौत हुई तो मैं देवास में गया जहां ओझा ने बताया कि अभी एक मरा है एक और मरेगा। भाई के मौत के दो महीने बाद ही मेरे भतीजे की भी मौत हो गई। सुबचन खुद भी टीबी से ग्रसित है।

पीड़ितों के चीख पुकार से बेफिक्र स्वास्थ्य विभाग

पतरिहा खुर्द के बिचला टोले में लोग असमय टीबी से मर रहे हैं, पूरे टोले में चीख चीत्कार मचा हुआ है। लोगों की चीख पुकार अनुमंडल अस्पताल प्रशासन के कानों तक नहीं पहुंची है। अस्पताल प्रशासन से जुड़े प्रमुख नीतिकार लोग सरकारी राशि को आराम ठिकाने लगाने और सुख चैन से सोने से बेफुर्सत हैं। अनुमंडल स्तरीय इतने बड़े स्वास्थ्य संस्थान में टीबी से प्रभावित और मृत लोगों के विषय में कोई आंकड़ा डाटा नहीं है। टीबी से मुक्त करने के नाम पर पैसे को ठिकाने लगाने के लिए अस्पताल में सिर्फ फोटो खिंचाने की रस्म अदायगी की जाती है, धरातल पर काम जैसे तैसे चलता है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार स्थिति चिंताजनक

भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार एक लाख लोगों में 199 नये लोग टीबी से प्रभावित हैं। एक लाख लोगों में 312 लोग विभिन्न प्रकार के टीबी से ग्रसित है। वहीं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रति 1 लाख लोगों में 23 लोगों की मौत टीबी से हो रही है। जबकि पतरिहा कला के बिचला टोला में टीबी से मौत एवं प्रसार का आंकड़ा सरकारी आंकड़ों से कई गुना अधिक है। जो चिंता का विषय है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

एक सीमित क्षेत्र में इतने लोगों में टीबी के बीमारी की पुष्टि एवं दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु तथा कई अन्य लोगों में संभावित बीमारी चिंता का विषय है। एक श्वासजनित संक्रमित बीमारी होने की वजह से युद्धस्तर पर ऐक्टिव केस फाइंडिंग द्वारा निदान एवं उचित चिकित्सकीय सहायता अपेक्षित है। साथ ही क्षेत्र में कुपोषण, नशा, घरों का हवादार न होना, व्यवसायजनित फेफड़ों की बीमारी यथा सिलिकोसिस (पत्थर के सूक्ष्म धूल से) आदि आधारभूत कारणों की भी जांच एवं समीक्षा जरूरी है।

डॉ सत्यदेव चौबे

अपर प्राध्यापक, श्वसन रोग विभाग

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन अशोक कुमार ने कहा कि पतरिहा खुर्द में टीबी के मरीजों के विषय में आपने अवगत कराया है। बहुत जल्द वहां जांच शिविर लगाकर लोगों की स्वास्थ्य जांच की जाएगी। जांच के बाद मरीजों को निःशुल्क दवाएं दी जाएगी।