सविमं में मनाई गई संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती

भविष्य जन्म से नहीं कर्म से बनता है : नीति
बंशीधर न्यूज
श्री बंशीधर नगर : सरस्वती विद्या मंदिर में सोमवार को संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई गई। जयंती समारोह का शुभारंभ विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य सुधीर प्रसाद श्रीवास्तव, कृष्ण कुमार पांडेय एवं प्रसून कुमार ने संयुक्त रूप से भारत माता, ओम, मां शारदे एवं भीमराव अंबेडकर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन कर किया।
महान विभूति डॉ अंबेडकर की जयंती के अवसर पर विद्यालय के भैया अर्णव पांडेय, हिमांशु कुमार, मनीष कुमार, नैतिक सोनी, सार्थक राज अग्रहरि, चाहत जायसवाल, वैष्णवी कुमारी, दिव्या कुमारी ने उनके जीवनी पर प्रकाश डाला। आचार्या नीति कुमारी ने भैया बहनों को संबोधित करते हुये कहा कि भारतीय संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की जन्मतिथि भारत में 14 अप्रैल को हर साल अंबेडकर जयंती के रूप मे मनाई जाती है।
यह दिन न केवल उनके जीवन और संघर्षों को याद करने का मौका है, बल्कि न्याय, सामाजिक समानता और मानव अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिये भी यह बहुत ही ज्यादा जरूरी हो जाता है। डॉ अंबेडकर एक महान समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, विधिवेत्ता और भारतीय इतिहास के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक थे। उन्होंने भारत की आजादी के समय देश को सही दिशा दिखाने के लिये कई तरह के योगदान दिये और भारत का संविधान तैयार करना उनमें से ही एक योगदान है। उन्होंने दिखा दिया कि भविष्य जन्म से नहीं कर्म से बनता है।
प्रभारी प्रधानाचार्य सुधीर प्रसाद श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि डॉ भीमराव अम्बेडकर जिन्हें बाबा साहेब, भारतीय संविधान निर्माता, समाज सुधारक और सामाजिक न्याय के प्रबल पक्षधर कहा जाता है। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू नगर में हुआ था। उनका संघर्ष बचपन से भरा रहा, लेकिन उन्हें पीछे छोड़ दिया गया न केवल उच्च शिक्षा की, बल्कि देश के सामाजिक रूप से प्राप्त ऐतिहासिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने जातिगत भेदभाव, सामाजिक अशांति और आर्थिक विषमता के खिलाफ संघर्ष किया। वे भारत के पहले कानून मंत्री भी बने और उन्होंने भारतीय संविधान की रचना में अहम योगदान दिया। 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी समाज में कल्याणकारी और न्याय की प्रेरणा बने हुये हैं। इस अवसर पर सभी आचार्य एवं दीदीजी उपस्थित थे।