कुर्सी तोड़ने वालों पर एफआईआर, तोड़वाने वाले को पुरस्कार

नीलू चौबे
श्री बंशीधर नगर : राजकीय श्री बंशीधर महोत्सव के दौरान कुर्सी तोड़े जाने संबंधी मामले में प्रशासन की ओर से दस नामजद एवं 30 से 40 अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज हुआ है। नामजद अभियुक्तों में कई नाबालिग भी शामिल हैं। आम दर्शक दीर्घा में विधि व्यवस्था संधारण के लिये तैनात मजिस्ट्रेट शैलेश कुमार ने नगर ऊंटारी थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। हालांकि सभी अभियुक्तों को थाने से बेल मिल गई है।
यहां उल्लेखनीय है कि जिसने कुर्सियां तोड़ी उनके साथ कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत जो हुआ वह बिल्कुल सही है, उसका बचाव कोई कानून पसंद नहीं कर सकता। लेकिन कुर्सियों को तोड़ने के लिये उकसाने वाले पर कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई नहीं होने से गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस संदर्भ में विशेषज्ञों का मानना है एफआईआर दर्ज कराने के पूर्व यह भी देखना जरूरी था जिसने कुर्सियां तोड़ी क्या वे कार्यक्रम में सिर्फ कुर्सी तोड़ने के इरादे से आये थे या संगीत सरिता में सराबोर उनलोगों को स्टेज पर से किसी ने उकसाया भी था।
जल्दबाजी में एफआईआर न कराकर शायद इस पर गौर किया गया होता तो नेम्ड एफआईआर में मशहूर कलाकार पूजा चटर्जी का नाम शामिल रहता। कार्यक्रम सरकारी एवं विभिन्न गैर सरकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाईव चल रहा था जिसमें कलाकार पूजा चटर्जी स्टेज से दर्शकों को कुर्सियां तोड़ने के लिये उकसाते हुये यह कहते हुये दिख रही हैं कि कुर्सी टूटना सक्सेसफुल इवेंट माना जाता है। अभी इंज्वॉय कीजिये बाद में तोड़ दीजियेगा। हुआ भी यही आम दर्शकों ने कार्यक्रम की समाप्ति के दौर में कुर्सियां तोड़ दी।
किरकिरी होने पर एक ओर नाबालिग बच्चों समेत 10 लोगों के विरुद्ध नगर ऊंटारी थाने में एफआईआर दर्ज करा दिया गया। किंतु कुर्सी तोड़ने के लिये प्रेरित करने वाली कलाकार पूजा चटर्जी व उन्हें स्टेज से इस तरह उकसाने से मना नहीं करने के आरोप में कार्यक्रम की इवेंट कंपनी के लोगों पर एफआईआर नहीं हुआ।
श्री बंशीधर नगर की संस्कृति पर चोट कर महोत्सव पर कुर्सी तोड़ डांस जैसे बदनुमा दाग लगाने के आरोप में कार्रवाई के बदले उन्हें सम्मानित किया गया और मोटी रकम दी गई। मतलब कुर्सी तोड़ने वालों पर एफआईआर और तोड़वाने वाले को पुरस्कार मिला। प्रशासन की ओर से अब तक इस दोहरी कार्रवाई से उस पर सवाल उठना भी लाजिमी है। जानकारों का कहना है कि कुर्सी तोड़ना बच्चों की गलती है इससे इनकार नहीं किया जा सकता। किंतु कुर्सी तोड़ने के लिये प्रेरित करने वाला कुर्सी तोड़ने वालों से कम गुनाहगार नहीं है।