21 साल बाद घर लौटा मृत समझा गया मजदूर, गांव में उमड़ी भीड़; भावुक हुए परिजन
मानसिक रूप से कमजोर होने का फायदा उठाकर लोगों ने बिना मजदूरी दिए कराया काम
जितेंद्र यादव
डंडई/गढ़वा: गढ़वा जिले के डंडई प्रखंड अंतर्गत रारो गांव के चिनुखरा टोला में उस वक्त खुशी का माहौल छा गया, जब लगभग 21 साल पहले लापता हुए अयोध्या सिंह (पिता: स्व. प्यारी सिंह) अचानक अपने घर लौट आए। परिवार और ग्रामीणों के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं, क्योंकि परिजनों ने उन्हें मृत मान लिया था। जानकारी के अनुसार, अयोध्या सिंह वर्ष 2004 में अपने गांव के कुछ साथियों के साथ मजदूरी करने के लिए घर से निकले थे।
वे अपने साथी से बिहार के डेहरी में बिछड़ गए,परिजनों ने हरसंभव खोजबीन की, रिश्तेदारों से लेकर पुलिस तक हर जगह पूछताछ की, लेकिन सालों तक कोई जानकारी नहीं मिली। उस समय उनके पास न मोबाइल था, न ही कोई पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड। धीरे-धीरे उनका आधुनिक दुनिया से संपर्क पूरी तरह टूट गया।
गांव में उमड़ी भीड़, पहचानना हुआ मुश्किल:
अयोध्या सिंह के घर लौटने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। उन्हें देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा। 21 साल के लंबे अंतराल के कारण, अयोध्या सिंह न तो गांव के लोगों को ठीक से पहचान पा रहे थे और न ही लोग अयोध्या सिंह को। यह दृश्य बेहद भावुक करने वाला था, जहां कई ग्रामीण आंखों में आँसू लिए खड़े थे। अपने बेटे को सामने पाकर परिजन फफक-फफक कर रो पड़े, जो वर्षों के इंतजार और पीड़ा के बाद मिली खुशी का इजहार था।
21 साल की दर्दनाक आपबीती
घर लौटने के बाद अयोध्या सिंह ने अपनी 21 साल की दर्दनाक आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि 2004 में बिछड़ने के बाद उनका मानसिक संतुलन कुछ हद तक बिगड़ गया था। पेट भरने के लिए उन्होंने कई जगहों पर मजदूरी की, लेकिन कई स्थानों पर लोगों ने उन्हें बंधक बनाकर काम कराया।
अयोध्या सिंह ने बताया जहां भी काम करते थे, लोग हमें वहीं रख लेते थे और जाने नहीं देते थे। मजदूरी भी नहीं दी जाती थी, बस खाना खिलाते थे। कई बार भागने की कोशिश की, लेकिन न मोबाइल था, न पैसे — इसलिए घर लौट नहीं पाया। उन्होंने यह भी कहा कि नाम-पता बताने के बावजूद किसी ने उन्हें घर पहुँचाने में मदद नहीं की। सभी लोग उनसे काम करवाने के लिए उन्हें अपने पास रख लेते थे।
ट्रक ड्राइवर बना इंसानियत की मिसाल:
अयोध्या ने बताया कि पिछले करीब छह साल से वे कोलकाता के डायमंड हार्बर, मदर हाट ब्रिज के नीचे स्थित माँ काली होटल में रहते और काम करते थे। वहीं उनकी कुछ दिन पहले मुलाकात बिहार के एक ट्रक ड्राइवर से हुई, जो कोलकाता रूट पर ट्रक चलाता था। अयोध्या ने जब उस ड्राइवर को अपनी कहानी और गांव का पता बताया, तो ड्राइवर ने इंसानियत दिखाते हुए उन्हें ट्रक से घर तक छोड़ने का निर्णय लिया। इसी ट्रक ड्राइवर की मदद से अयोध्या सिंह आखिरकार 21 साल बाद अपने गांव रारो, चिनुखरा टोला वापस लौट आए। घर वापसी से अयोध्या सिंह के परिवार और पूरे गांव में भारी खुशी और उत्साह का माहौल है।