सच्चे भक्तों को ही होती है भगवत्कृपा की प्राप्ति : मुक्तिनाथ स्वामी

बंशीधर न्यूज
श्री बंशीधर नगर : प्रयागराज से पधारे कथावाचक जगदगुरू रामानुजाचार्य श्री मुक्तिनाथ स्वामीजी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन भक्त प्रह्लाद की अटूट भक्ति, भक्त ध्रुव की तपस्या, राजा बलि के समर्पण, गजेंद्र मोक्ष की करुण कथा, श्रीराम अवतार की मर्यादा और श्रीकृष्ण जन्म की दिव्यता का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने कहा कि सच्चे भक्तों को भगवत्कृपा की प्राप्ति होती है। स्वामी जी श्रीराधावंशीधर मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह में प्रवचन कर रहे थे।
स्वामीजी ने भक्त प्रह्लाद की अडिग आस्था की विस्तार से चर्चा के दौरान कहा कि, प्रह्लाद ने अपने उपर हुए अत्याचारों के बावजूद हर क्षण ईश्वर का स्मरण किया। उन्हें भगवत्कृपा की प्राप्ति हुई। भक्त ध्रुव की अद्वितीय तपस्या और भगवान विष्णु के साक्षात्कार का प्रेरणादायी प्रसंग सुनाकर स्वामीजी ने बच्चों और युवाओं को धैर्य व दृढ़ संकल्प का संदेश दिया। राजा बलि के समर्पण की व्याख्या करते हुए कहा कि जब भक्त अपना सर्वस्व भगवान को अर्पित कर देता है, तब उसे भगवत्कृपा की प्राप्ति होती है।
राजा बलि इसके उदाहरण है। गजेंद्र मोक्ष की करुण कथा के दौरान स्वामीजी महाराज ने कहा कि संकट की घड़ी में ईश्वर ही अंतिम सहारा होते हैं। प्रवचन के दौरान श्रीराम अवतार की मर्यादा, धर्मनिष्ठा और आदर्श चरित्र का चित्रण हुआ। वहीं श्रीकृष्ण जन्म के प्रसंग ने पूरे पंडाल को उत्साह और उल्लास का संचार कर दिया।
जैसे ही कृष्ण जन्म की घोषणा हुई, "पंडाल नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की " और "बधईया बाजे आंगन में" आदि बधाई गीतों और नंद के लाला की जय के जयघोष से गूंज उठा। कथा के दौरान भजन-कीर्तन पर श्रद्धालु भक्त भावविभोर होकर झूम उठे। मंदिर परिसर के वातावरण में भक्ति, प्रेम और आनंद का अद्भुत संगम था। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रीमद्भागवत कथा के उपरोक्त पावन प्रसंगों का रसपान किया।