इस बार होलिका दहन पर भद्राकाल का साया, शुभ मुहूर्त में करें होलिका दहन : श्रीकांत मिश्र

बंशीधर न्यूज
रांची : रंगों का त्योहार यानि होली। भारत के प्रमुख त्योहारों में होली का अपना एक अलग ही महत्व है। इस त्योहार पर बच्चे हों या बड़े, रंगों के इस त्योहार के लिए सभी उत्साहित रहते हैं। इस पर्व का सभी बेसब्री से इंतजार करते हैं और दूर दूर से अपने घरों में जाते हैं। इसके लिए तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। मार्च के महीनों में परीक्षा के बीच में भी बच्चे होली खेलने के लिए वक्त निकाल ही लेते हैं। रंगों का त्योहार यानि होली का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है। लेकिन इसका ज्यादा उत्साह उत्तर भारत में देखने को मिलता है। यूपी, बिहार, राजस्थान, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत कई राज्यों में लोग कुछ दिन पहले से ही होली की तैयारी में शुरू कर देते हैं। इस खास अवसर पर घरों में गुझिया इत्यादि कुछ खास पकवान भी बनाए जाते है।
इस बार होलिका दहन पर भद्राकाल का साया : श्रीकांत मिश्र
देव वाणी सेवा संस्थान के अध्यक्ष श्रीकांत मिश्र जी ने बताया कि इस बार भी होलिका दहन पर भद्राकाल का साया है। उन्होने बताया कि हिंदू धर्म में होली का विशेष महत्व है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन का उत्सव मनाया जाता है। इसके अगले दिन को रंगोत्सव होली के नाम से जाना जाता है। आचार्य श्रीकांत मिश्र जी ने बताया कि पंचांग अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा के साथ भद्रा का साया रहेगा। इस समय किए गए कार्य में शुभ फल की की प्राप्ति नहीं होती है। इसी वजह से भद्रा काल के समय शुभ और मांगलिक काम न करने की सलाह दी जाती है।
होलिका दहन 13 मार्च गुरुवार को फाल्गुन की पूर्णिमा गुरुवार की सुबह 10:11 बजे प्रारंभ होगी, साथ ही भद्रा भी उसी समय से शुरू हो रही है। भद्रा गुरुवार की रात 10:37 बजे तक विद्यमान रहेगी। होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई के जीत के तौर पर मनाया जाता है और हर वर्ष यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि विधि पूर्वक और नियमों के साथ होलिका दहन किया जाए तो सभी चिंता व परेशानियां भी उसी अग्नि में स्वाहा हो जाती हैं और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
इस बार होली 15 मार्च को मनाया जाएगा : श्रीकांत मिश्र
देव वाणी सेवा संस्थान के अध्यक्ष श्रीकांत मिश्र जी ने बताया कि काशी की परम्परा अनुसार होलिका दहन के साथ ही काशी में 64 योगिनी यात्रा प्रारम्भ होती है , जो होलिका भस्म धारण कर समाप्त होती है अतेव काशी में होली शुक्रवार 14 मार्च को एवं काशी के अन्यत्र होली 15 मार्च शनिवार को मनाया जाएगा। जहां उदयातिथि के अनुसार पर्व का आयोजन किया जाता है, वहां प्रतिपदा तिथि के अनुसार 15 मार्च को होली का उत्सव मनाया जाएगा।
इस बार 14 मार्च को दोपहर 11:11 तक पूर्णिमा है , जो उदयातिथि के अनुसार पूरे दिन फाल्गुन का ही मान रहेगा और होली चैत्र मास प्रतिपदा में मनाया जाता है। इसलिए रंगोत्सव का त्योहार पवित्र होली का पर्व 15 मार्च यानि शनिवार को मनाया जाएगा। आपको बता दें कि 14 मार्च को चंद्र ग्रहण भी रहेगा। मगर भारत में चंद्र ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा क्योंकि ये ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा।
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