भागवत कथा जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करती है : मुक्तिनाथ स्वामी

भागवत कथा जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करती है : मुक्तिनाथ स्वामी

बंशीधर न्यूज

श्री बंशीधर नगर : प्रयागराज से पधारे कथावाचक जगदगुरू रामानुजाचार्य श्री मुक्तिनाथ स्वामीजी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा कलियुग के प्रभाव से उत्पन्न पीड़ा, संताप और जीवन में व्याप्त अंधकार को दूर कर दिव्य प्रकाश देने का सरल और सहज माध्यम है। 18 पुराणों में सर्वोत्तम होने के कारण श्रीमद्भागवत पुराण को वेदों का सार और भक्ति मार्ग का परम ग्रंथ कहा गया है।

उन्होंने यह बातें श्रीराधावंशीधर मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के प्रथम दिवस के प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित यह ग्रंथ भगवान श्रीकृष्ण की लीला, भक्तों की महिमा और भक्ति के सर्वोच्च महत्व का अद्वितीय प्रमाण है। परम रसिक शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन में सुनाया था। कहा जाता है कि भागवत कथा का श्रवण मात्र पापों को नष्ट कर देता है और मन को भगवान प्रेम से भर देता है।

कलियुग के प्रभाव से ग्रसित माता भक्ति के पुत्रों ज्ञान, वैराग्य की सारी पीड़ा और संताप श्रीमदभागवत कथा श्रवण करने से दूर हुई थी। उन्होंने कहा सच्चिदानंद भगवान भक्त वत्सल हैं। वे शरणागत करने वाले भक्त को अपना लेते है। और वैसे भक्त पर कलियुग का प्रभाव नहीं पड़ता है। भागवत कथा के श्रवण मात्र से जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति और परमधाम की प्राप्ति निश्चित होती है। श्री बंशीधर नगर में विराजमान श्रीराधावंशीधर जी की दिव्य और मनमोहक छवि का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान वंशीधर जी का प्राकट्य अर्चावतार है।

 उन्होंने कहा कि यहां की भक्तवत्सला राजमाता शिवमानी देवी ने स्वप्न में स्वयं जिस परम् ब्रह्म श्री वंशीधर के स्वरूप का दर्शन किया था, उस परम् ब्रह्म श्री वंशीधर जी स्थापना कर सबके लिए दर्शन सुलभ करा दिया। "नीलाम्बुजद श्यामल देहकांतिम राधासमालंकृत वामभागम। वंशीधरम यष्टिधरं मुकुंदम नमामि कृष्णं यदुवंशनाथम।।" श्री वंशीधर जी के स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा कि त्रिभंगी मुद्रा में श्री वंशीधर जी का स्वरूप अद्भुत और अलौकिक है। श्रीमुख पर मुस्कान और अतिविशिष्ट नेत्र ऐसे हैं कि उन पर नजर नहीं टिक सकता। उस मौके पर बड़ी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे।