जान जोखिम में डाल रेल पटरी पार कर स्कूल जाते हैं बच्चे

कभी भी कोई बड़े हादसे होने से नहीं किया जा सकता है इनकार
रेहला में आरओआर बनने व लौंगहोल गुड्स ट्रेन के संचालन से और बढ़ी परेशानी
अभी तक रेल लाईन पार करने में एक शिक्षक व एक छात्रा को अपनी जान गंवाकर चुकानी पड़ी है बड़ी कीमत
रेल पटरी पार करने के लिये करना पड़ता है घंटो इंतजार
बंशीधर न्यूज
विश्रामपुर : धनबाद व डीडीयू रेलखंड की सीमा से सटे रेल पटरी के बगल में स्थित सबौना उत्क्रमित मध्य विद्यालय के बच्चों को जान हथेली पर लेकर प्रतिदिन रेल लाईन पार कर स्कूल जाना पड़ता है। इससे न सिर्फ उस स्कूल के शिक्षक चिंतित रहते हैं। बल्कि उनके अभिवभावक भी बराबर किसी अनहोनी को लेकर सशंकित रहते हैं। अभी तक उस स्कूल के एक पारा टीचर व एक छात्रा को रेल लाईन पार करके स्कूल जाने की कीमत अपनी जान गंवाकर चुकानी पड़ी है।
उस स्कूल के एक शिक्षक मनोहर पासवान जो हमेशा से रेल समस्याओं को लेकर समय समय पर रेल प्रशासन को पत्राचार कर उनका ध्यान आकृष्ट कराते रहते हैं। उन्होंने बताया कि कभी भी कोई शिक्षक समय पर स्कूल पहुंचकर अपनी उपस्थिति नहीं बना पाता है। उन्होंने बताया कि शनिवार को करीब एक घंटे तक शिक्षकों व कई बच्चों को रेल लाईन पार करने के लिये वहां इंतजार करना पड़ा। इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि रेल लाईन के पूरब की ओर गांव की पूरी आबादी है।
रेल लाईन पास करके ही स्कूल पहुंचना पड़ता है। क्योंकि स्कूल रेल लाईन से सटे पश्चिम दिशा में स्थित है। शिक्षक ने बताया कि वहां आरओआर (रेल ओवर रेल ब्रिज) बनने से और परेशानी बढ़ गयी है। चोपन की ओर से ट्रेन लेने के लिये गढ़वा रोड आउटर सिग्नल पर जब गाड़ी खड़ी कर दी जाती है तो लौंग होल के कारण उसके डिब्बे स्कूल से आगे तक लगी रहती है। जिससे वहां लाईन पार नहीं किया जा सकता है।
यह स्थिति कमोबेश प्रतिदिन की स्कूल जाने व छुट्टी होने के बाद बनी रहती है। कभी- कभी बच्चे खड़ी मालगाड़ी के नीचे से रेल लाईन पार कर स्कूल चल जाते हैं जो कभी खतरे से खाली नहीं है। उसी स्कूल के शिक्षक राजेन्द्र राम व एक छात्रा की मौत रेल लाईन पार करने के दौरान हो गयी थी। वहां के अभिभावकों व शिक्षकों ने इसका स्थायी हल निकालने के लिये जिला व रेल प्रशासन से गुहार लगाई है।