रंका में ऐतिहासिक रथयात्रा का भव्य आयोजन, श्रद्धा और परंपरा का अनूठा संगम

बंशीधर न्यूज
रंका : रंका अनुमंडल मुख्यालय में शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र की ऐतिहासिक रथयात्रा पूरे धूमधाम और पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ निकाली गई। करीब 300 वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में सुबह से ही रंका और आसपास के गांवों से भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े। रथ को छूने की होड़ दिखी, क्योंकि मान्यता है कि रथ का स्पर्श जीवन में सुख-शांति और पुण्य लाता है।
महिलाओं ने पारंपरिक लोकगीत, ढोल-नगाड़ा और शंखनाद के साथ यात्रा में भाग लिया। रथ जैसे ही मौसीबाड़ी पहुंचा, वहां आचार्य भोला पांडेय ने 1008 दीपों से महाआरती की और भक्तों ने भगवान का महाप्रसाद ग्रहण किया। रथयात्रा से एक दिन पहले भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के पट 15 दिन के एकांतवास के बाद खोले गये, जिससे ठाकुरबाड़ी में दर्शन के लिये भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
हनुमंत पूजा और ध्वजारोहण के बाद यात्रा का शुभारंभ हुआ। इस मौके पर स्थानीय परंपराएं भी निभाई गईं। रंका और आसपास के गांवों में हथियापत्थल बांस बगान में दूल्हे की मऊर की पूजा की गई, जिससे बेटी के वंश और सुख-समृद्धि की कामना होती है। शाम को घर-घर खीर-पूड़ी खाने की परंपरा निभाई गई, खासकर जिन घरों में हाल ही में विवाह हुआ है।
भीड़ के मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये और पुलिस बल तैनात किया गया। इस आयोजन की कमान वर्षों से गढ़ के कुमार गोवर्धन प्रसाद सिंह और कुमार गुलाब सिंह संभाल रहे हैं। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि यह रथयात्रा क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकता का प्रतीक है।