सरस्वती विद्या मंदिर में मनाई गई महावीर जैन की जयंती

सरस्वती विद्या मंदिर में मनाई गई महावीर जैन की जयंती

बंशीधर न्यूज

श्री बंशीधर नगर : सरस्वती विद्या मंदिर में गुरुवार को जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर महावीर जी की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सगमा एसबीआई के जनार्दन प्रसाद व प्रधानाचार्य रविकांत पाठक ने भारत माता, ओम, मां शारदे एवं भगवान महावीर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन कर किया। उस मौके पर मुख्य अतिथि जनार्दन प्रसाद ने अपने उद्बोधन में कहा कि यहां आकर जयंती में भाग लेकर बहुत अच्छा लगा।

हम सभी को भी भगवान महावीर के आदर्शों पर चलना चाहिये और अपना जीवन सफल बनाना चाहिये। प्रधानाचार्य रविकांत पाठक ने भैया बहनों को संबोधित करते हुये कहा कि भगवान महावीर जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे। उन्होंने हमें अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह का मार्ग पर चलने के लिये प्रेरित किया। उनका संदेश है कि हमें सभी जीवों के प्रति दया और प्रेम रखना चाहिये। उनके उपदेश हमें सिखाते हैं कि सादा जीवन जीकर सच्चे सुख की प्राप्ति हो सकती है।

भैया अर्णव पांडेय ने भी भगवान महावीर के जीवनी पर प्रकाश डालते हुये भाषण दिया। आचार्य नीति कुमारी ने अपने बौद्धिक में बताया कि यह दिन भगवान महावीर को श्रद्धांजलि देने और उनकी शिक्षाओं को याद करने का है। भगवान महावीर को जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है। उनका जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार के कुंडग्राम में हुआ था।

उन्होंने 30 साल की उम्र में संन्यास ले लिया और 12 साल की कठोर तपस्या के बाद उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। वह शांति, अहिंसा और सत्य के प्रतीक माने जाते हैं। उनके जीवन और उपदेशों ने समाज में सच्चे धर्म और सद्गुणों को फैलाया है।

जैन मुनि पांच मुख्य व्रत लेते हैं अहिंसा (अहिंसा), सत्य (सत्य), अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (पवित्रता) और अपरिग्रह (अपरिग्रह)। कार्यक्रम में विद्यालय के सभी आचार्य एवं दीदी जी उपस्थित थे।