रामायण केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है : मिथिलेश ठाकुर

श्रद्धा और भक्ति के साथ रामकथा का समापन
बंशीधर न्यूज
गढ़वा : शहर के गढ़देवी मोहल्ला स्थित नरगिर आश्रम में चल रहे रामकथा का समापन श्रद्धा और भक्ति के साथ हुआ। अंतिम दिन की कथा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर का आगमन हुआ, जिन्हें रामनामी पट्टा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। रामायण कथा के अंतिम चरण में राम राज्याभिषेक का मंचन पूर्व मंत्री ने किया।
अयोध्या से पधारे कथावाचक पूज्य बालस्वामी प्रपन्नाचार्य जी ने रामायण के प्रमुख प्रसंगों रावण वध, राम का राज्याभिषेक, वनगमन, चित्रकूट प्रवास, अगस्त्य मुनि की कथा, अनुसूया और शबरी संवाद को भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि वनगमन के बाद श्रीराम प्रयाग होते हुये चित्रकूट पहुंचे, जहां उन्होंने घास-फूस और पत्तों से बनी पर्णकुटी में माता सीता और भाई लक्ष्मण संग 11 वर्ष बिताये।
श्रोताओं को रामायण में वर्णित शरभंग मुनि की तपस्या, अगस्त्य मुनि के द्वारा भगवान राम को दिव्य अस्त्र-शस्त्र देने की कथा और अनुसूईया द्वारा सीता को दिये गये पतिव्रता धर्म के उपदेश का भी वर्णन किया गया। शबरी को श्रीराम द्वारा नवधा भक्ति की शिक्षा और उनके प्रति उसका अटूट प्रेम भी कथा का भावुक पक्ष रहा। कथा में यह भी दर्शाया गया कि किस प्रकार राम ने वानर सेना की सहायता से कुंभकर्ण, मेघनाद और अंततः रावण का वध कर धर्म की स्थापना की।
पूर्व मंत्री ने कहा कि रामायण केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है, जो हमें सत्य, धर्म, कर्तव्य, त्याग, प्रेम और अनुशासन की शिक्षा देती है। उन्होंने भगवान राम के आदर्शों को आत्मसात करने की प्रेरणा दी और रामराज्य की संकल्पना को जीवन में उतारने का संदेश दिया।
मौके पर अध्यक्ष चन्दन जायसवाल, जगजीवन बघेल, दीनानाथ बघेल, जयशंकर बघेल, गुड्डू हरि, विकास ठाकुर, भरत केशरी, गौतम शर्मा, धर्मनाथ झा, दिलीप पाठक, राजन पाण्डेय, अमित पाठक, अजय राम, गौतम चंद्रवंशी, सोनू बघेल, पवन बघेल, सुमित लाल, अजय सिंह, राकेश चंद्रा, सूरज सिंह, शांतनु केशरी, शुभम् चंद्रवंशी, सोनू, सुन्दरम्, शिवा आदि लोग उपस्थित थे।