सरस्वती विद्या मंदिर में मनाई गई तुलसीदास की जयंती

बंशीधर न्यूज
श्री बंशीधर नगर : सरस्वती विद्या मंदिर में तुलसीदास की जयंती गुरुवार को समारोह पूर्वक मनाई गई। जयंती समारोह का शुभारम्भ प्रधानाचार्य रविकांत पाठक ने मां शारदे, भारत माता, ओम एवं तुलसीदास जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन कर किया गया। इस उपलक्ष्य में सुलेख, चित्रकला और निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें सभी भैया-बहनों ने हर्षोल्लास से भाग लिया।
मानस पाठ प्रतियोगिता में भैया-बहनों ने गुरु-शिष्य संवाद तथा भ्रातृ-प्रेम का सस्वर गायन किया। इस मानस पाठ प्रतियोगिता में कक्षा तृतीय से दशम तक के भैया-बहनों ने प्रतिभागिता ग्रहण की। तुलसीदास का जीवनवृत्त पर भैया अर्णव राज पाण्डेय, बहन नैन्सी शुक्ला, बहन पीहू तिवारी आदि ने विस्तार से बौद्धिक दिया। इस कार्यक्रम में तुलसीदास, राम-लक्ष्मण व शबरी की रूप सज्जा मुख्य आकर्षण का केंद्र था।
शबरी से राम के मिलन का पल देखकर भैया-बहन आह्लादित थे। उस मौके पर प्रधानाचार्य रविकांत पाठक ने कहा कि रामचरितमानस सर्वकालिक तथा सर्वव्यापी धरोहर है। इसमें जीवन के सभी विधाओं का सामंजस्य है। हर किसी को इस ग्रंथ का अध्ययन करना चाहिये। उन्होंने कहा कि तुलसीदास भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त थे, जो इस दोहे चित्रकूट के घाट पर भय संतन के भीड़।
तुलसीदास चंदन घिसै तिलक लेते रघुवीर।।" से पता चलता है। आचार्य सुधीर प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा कि तुलसीदास जी का जन्म श्रावण शुक्लपक्ष सप्तमी को हुआ था। तुलसीदास की पत्नी रत्नावली द्वारा कही गई एक बात "अस्थि चर्म मय देह मम तामे जैसी प्रीति। ऐसी जौं श्रीराम में होत न तव भवभीति।।" जिनसे इनका राम के प्रति प्रेम उमड़ना आरंभ हुआ। तुलसीदास जयंती का समापन श्रीराम दरबार के सम्मुख " श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन" आरती तथा प्रसाद वितरण से हुआ।
कार्यक्रम को सफल बनाने में नन्दलाल पाण्डेय, दिनेश कुमार, नीरज सिंह, अविनाश कुमार, कृष्ण मुरारी, अशोक कुमार, रूपेश कुमार, प्रसून कुमार, उमेश कुमार, हिमांशु झा, बिक्रम प्रसाद, प्रदीप कुमार गुप्ता, आरती श्रीवास्तव, नीति कुमारी, प्रियंवदा, रेणु पाठक, खुशबू सिंघल, नेहा कुमारी, सलोनी कुमारी, तन्वी जोशी आदि की महती भूमिका रही।