जन्म एक सृजन है तो मृत्यु एक प्रलय : जीयर स्वामी
बंशीधर न्यूज
मेदिनीनगर : निगम क्षेत्र के सिंगरा अमानत तट स्थित चातुर्मास व्रत कथा में श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा की जन्म एक सृजन है तो मृत्यु एक प्रलय। सृष्टि में सृजन और प्रलय कल्प के अंतराल पर चलते रहता है। श्रीमद्भागवत कथा के दौरान उन्होंने कहा की सत्यव्रत श्राद्धदेव की इच्छा को पूर्ण करने के लिये भगवान् श्रीहरि विष्णु जी ने मत्स्यावतार लिया।
कहा कि एक बार (वैवस्वत मनु) के मन में इच्छा हुई कि प्रलय और महाप्रलय क्या होता है क्यों होता है और महाप्रलय में कौन बचता है। श्री शुकदेव जी महाराज राजा परीक्षित से कहते हैं कि भगवान् श्रीमन्नारायण ही सृष्टि के प्रारंभ में, सृष्टि के मध्य में और सृष्टि के अन्त में बचते हैं और कोई बचता नहीं है। प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपने मूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना।
प्रकृति का ब्रह्म में लय (लीन) हो जाना ही प्रलय है। स्वामी जी महाराज ने कहा कि जो जन्मा है वह मरेगा। पेड़, पौधे, प्राणी, मनुष्य, पितर और देवताओं की आयु नियुक्त है, उसी तरह समूचे ब्रह्मांड की भी आयु है। इस धरती पर देवी, देवता, सूर्य, चंद्र सभी की आयु है।
आयु के इस चक्र को समझने वाले समझते हैं कि प्रलय क्या है। प्रलय भी जन्म और मृत्यु जैसी एक प्रक्रिया है। जन्म एक सृजन है तो मृत्यु एक प्रलय है। उस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया।