रावण के वध के साथ पृथ्वी से रावणत्व मिटाने के लिये हुआ था मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का अवतार : मारुति किंकर जी

बंशीधर न्यूज
विश्रामपुर : वासंतिक नवरात्र को लेकर रेहला के सिद्धपीठ योगीवीर बाबा मंदिर परिसर में चल रहे रामकथा के दूसरे दिन वाराणसी से आये मानस मर्मज्ञ श्री श्री 1008 मारुति किंकर जी महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुये कहा कि श्रीराम का अवतार रावण वध के साथ पृथ्वी से रावणत्व मिटाने के लिये हुआ था। उन्होंने कहा कि रावण के समय अवतारों में परशुराम का भी अवतार हुआ था।
जो दानवों का वध कर सकते थे, किन्तु पृथ्वी से दानवता नहीं मिटा सकते थे। उस समय बलवानों में बाली जैसा बलवान था, जो रावण का वध तो कर सकता था, किन्तु पृथ्वी से रावणत्व नहीं मिटा सकता था। श्रीराम का अवतार दानव वध के साथ पृथ्वी से दानवता मिटाने के लिये हुआ। उन्होंने कहा कि रावण दबाव से, परशुरामजी प्रभाव से और श्रीराम अपने स्वभाव से लोगों को अपने बस में किये थे। महाराज जी ने कथा विस्तार से करते हुये कहा कि जो दबाव से लोगों को अपने बस में करता है, उसके सामने लोग भयभीत रहते हैं और पीठ पीछे उसे गालियां देते हैं।
जो प्रभाव से लोगों को अपने बस में करता है, उसके सामने लोग डरते हैं और पीठ पीछे उसकी निंदा करते हैं। किन्तु जो अपने मधुर स्वभाव से लोगों को अपने बस में करता है लोग उसकी पूजा करते हैं, आरती उतारते हैं और परोक्ष में उसकी कीर्ति का गुणगान करते हैं। उस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का रसपान किया।