मानवता, राष्ट्र और संस्कार का संरक्षण ही भक्ति है: जीयर स्वामी

अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन सह विद्वत संगोष्ठी आयोजित
बंशीधर न्यूज
मेदिनीनगर : मेदिनीनगर नगर निगम क्षेत्र के सिंगरा में आयोजित श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में कथा के दौरान श्रीलक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि जिस तरह गंगा में बहुत कुछ बहने के बावजूद हमलोग सबकुछ हटाकर सिर्फ जल ग्रहण करते हैं, उसी तरह बालक से वृद्ध तक में जो गुण है उसको प्राप्त करना चाहिये, जो दोष है उसे छोड़ देना चाहिये।
उन्होंने कहा कि जिन कर्माे, आचरण व व्यवहार को करने से मानवता का कल्याण, राष्ट्र व संस्कार का संरक्षण हो वही भक्ति है। संस्कार से विहीन साधन संसाधन बोझ बन जाता है, लेकिन वही संस्कार युक्त साधन उपहार बन जाता है। उन्होंने कहा कि आप कितने भी बड़े वैभवशाली क्यों न हो, लेकिन यदि आपका उठन बैठन, खान पान सही नहीं है तो आपको बर्बाद होने से कोई रोक नहीं सकता है।
श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के चौथे दिन बुधवार की रात श्रीलक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन सह विद्वत संगोष्ठी में लगभग दो सौ से अधिक संतो ने भाग लिया। सम्मेलन में मानव धर्म, संस्कृति और राष्ट्र विषय पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। सम्मेलन को संबोधित करते हुये संतों ने कहा कि धर्म रक्षक है, यदि धर्म के साथ खिलवाड़ किया गया तो धर्म भक्षक बन जाता है।
सेवा से बढ़कर दूसरा कोई बड़ा धर्म नहीं है। सभा को जगद्गुरु अयोध्या नाथ स्वामी जी, त्रिवेंद्रमदि देव समाधि स्थल मंदिर बक्सर बिहार, पीठाधीश्वर हरिद्वार जगतगुरु बैकुंठ नाथ स्वामी जी, वृंदावन से जगतगुरु चतुर्भुज स्वामी जी, जगतगुरु मुक्तिनाथ स्वामी जी काशी, श्री रंगनाथ स्वामी जी झारखंड, पीठाधीश्वर जगतगुरु गोविंदाचार्य स्वामी जी, जगतगुरु पुंडरीक जी काशी, जगतगुरु गिरधर शास्त्री जी महाराज सहित दर्जनों विद्वान आचार्य आदि ने संबोधित किया।