सरकारी सिस्टम से हारे ग्रामीणों ने बनाया लकड़ी का पुल, जान जोखिम में डाल कर पार होते हैं नदी

सरकारी सिस्टम से हारे ग्रामीणों ने बनाया लकड़ी का पुल, जान जोखिम में डाल कर पार होते हैं नदी

विपुल दुबे

सगमा : प्रखंड अंतर्गत घघरी पंचायत के चैनपुर गांव स्थित कुशवाहा टोला के ग्रामीण आज़ादी के 78 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। इस टोला के लोगों को आज तक पक्की पुलिया नसीब नहीं हो सकी है। गांव में ही स्थित दुधवा नदी पर पुल के अभाव में हर दिन ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर बांस-बली और लकड़ी की अस्थायी पुलिया से नदी पार कर आवाजाही कर रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में नेताओं के प्रति भारी आक्रोश व्याप्त है।

बरसात के मौसम में यह पुलिया और भी खतरनाक हो जाती है अधिक बारिश होती है तो लकड़ी के बनाई गई पुल को उखाड़ कर कुछ दूर ले जाकर बहा देता हैँ। ​करीब एक सौ घरों की आबादी वाला यह टोला जिसकी जनसंख्या करीब आठ सौ है रोज़ाना इसी जानलेवा पुलिया से होकर उत्तर प्रदेश के विंढमगंज बाजार पहुंचते हैं । यह बाजार ही उनके जीवन का मुख्य केंद्र है, जहा से वे बच्चों की शिक्षा, दवा-इलाज और घरेलू सामान की व्यवस्था करते हैं।

ग्रामीण रामस्वरूप कुशवाहा, रामकुमार कुशवाहा, उपेंद्र कुशवाहा, विजय कुशवाहा,संगीता देवी, मालती देवी, मीरा देवी, सुशीला देवी, मंजू देवी, पूजा देवी, शांति देवी, प्रमिला देवी, सारो देवी, सविता देवी, साखो देवी, रंजीता देवी सहित दर्जनों महिला-पुरुषों ने बताया कि पिछले 15 से 20 वर्षों से वे चंदा इकट्ठा कर इस अस्थायी पुल का निर्माण करते आ रहे हैं।

अधिकांश ग्रामीण सब्जी की खेती कर जीविका चलाते हैं रोज़ाना विंढमगंज बाजार में सब्जियां बेचते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि कुशवाहा टोला के अधिकांश बच्चे झारखंड में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव के कारण उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में पढ़ने जाते हैं। ​"हम सिर्फ वोट देने के लिए बने हैं!"

झूठे वादों से बढ़ा आक्रोश ​

ग्रामीणों ने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि वे चैनपुर के ग्रामीण चुनाव के समय सिर्फ वोट देने के लिए बने हैं। उनका कहना है कि चुनाव के दौरान वर्तमान विधायक अनंत प्रताप देव बार-बार आए और वादा किया था कि वोट उनके पक्ष में करने पर 3 से 5 महीने के भीतर दुधवा पुल का निर्माण करा दिया जाएगा। ​लेकिन विधायक के जीतते ही पुल निर्माण की बात तो दूर, उन्होंने चैनपुर गांव में अभी तक अपनी झलक तक नहीं दिखाई है।

ग्रामीणों ने इसे विधायक और नेताओं का चुनावी जुमला करार दिया है। ग्रामीणों ने विधायक को कई बार आवेदन दिया, पर उन्हें केवल खोखला आश्वासन ही मिला। ​पूर्व और वर्तमान विधायक 'एक सिक्के के दो पहलू' ​ग्रामीणों का गुस्सा केवल वर्तमान विधायक पर ही नहीं है। उन्होंने पूर्व विधायक भानु प्रताप शाही पर भी सवाल उठाया है, जो तीन बार इस क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं, लेकिन उन्होंने भी पुल निर्माण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। ​

ग्रामीणों का स्पष्ट आरोप है कि चाहे वर्तमान विधायक हों या पूर्व विधायक दोनों ने केवल चुनावी जुमलों से जनता को गुमराह किया है। अब लोगों का सब्र टूट चुका है। बारिश के मौसम में भी जान हथेली पर रखकर नदी पार करने को मजबूर इन ग्रामीणों ने अब आने वाले चुनाव में अपने वोट से जवाब देने का मन बना लिया है। उनका कहना है कि वर्तमान विधायक और पूर्व विधायक दोनों एक सिक्का के दो पहलू हैं।